Dipesh Kheradiya A Philosopher
“Words are my world, and emotions are my language.” – Dipesh Kheradiya
Thursday, May 22, 2025
होने थे जितने खेल
होने थे जितने खेल मुकद्दर के हो गए
हम टूटी नाव लेके समंदर के हो गए
खुशबू हमारे हाथ को छू के गुजर गई
हम फूल सबको बांट के पत्थर के हो गए
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होने थे जितने खेल
होने थे जितने खेल मुकद्दर के हो गए हम टूटी नाव लेके समंदर के हो गए खुशबू हमारे हाथ को छू के गुजर गई हम फूल सबको बांट के पत्थर के हो गए
દુવા મેં યાદ રખના
ખુદા પાસે તમે રોજ રોજ જયારે પણ મંદીરમાં જાવ ત્યારે કંઇના કંઇક તો દુવા કરતા અને માત્ર તમે જ નહી દેવ હું પણ રોજ દુવા કરતો પણ તમે તો માત્ર એક...
किरदार और कहानियां
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