Dipesh Kheradiya A Philosopher
“Words are my world, and emotions are my language.” – Dipesh Kheradiya
Thursday, April 7, 2016
जब उससे दूर होता हु मैं बिखर जाता हूँ
माँ मुझे चूमती है और मैं निखर जाता हूँ
कोई बलाऐ ना मेरे आसपास टिकती है
तेरी दुआ साथ चलती मैं जिधर जाता हूँ
- दिपेश खेरडिया -
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होने थे जितने खेल
होने थे जितने खेल मुकद्दर के हो गए हम टूटी नाव लेके समंदर के हो गए खुशबू हमारे हाथ को छू के गुजर गई हम फूल सबको बांट के पत्थर के हो गए
किरदार और कहानियां
Happy Children's Day
Happy Children's Day નથી જોતી જવાની મને મારૂ બચપણ દઈ દે.. હતું જે મારા થી મારૂ મને એ સગપણ દઈ દે.. - દિપેશ ખેરડીયા
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