Thursday 6 October 2016

मेरे घर में मेरी छत से बारिश गिरती है
मैं सो जाता हूँ आँखे फिरती फिरती है !

एक दिया रखता हूँ दिल मैं ताकि जी सकू
ये रौशनी सारे घर का अँधेरा चिरती है !!

- दीपेश खेरडिया - 

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