जिंदगी की परिभाषा कभी स्थिर नहीं होती। यह हर क्षण बदलती है, जैसे बदलता है आसमान का रंग सुबह से शाम तक। कभी यह बेफिक्र हवा के झोंके की तरह लगती है, जो बिना किसी दिशा के बहती है, और कभी समंदर की गहराई की तरह रहस्यमयी हो जाती है। लेकिन इस जिंदगी में सबसे खास है उसका प्यार से रिश्ता।
प्यार वह एहसास है, जो जिंदगी को अर्थ देता है। यह वह धागा है, जो दो अनजान आत्माओं को एक सूत्र में बांधता है। लेकिन प्यार सिर्फ जुड़ने का नाम नहीं, यह टूटने का भी सबक देता है। एक ऐसा सबक, जो हमें सिखाता है कि कुछ चीजें हमेशा के लिए नहीं होतीं। लोग आते हैं, हमारे दिल में जगह बनाते हैं, फिर किसी मोड़ पर हमें छोड़ जाते हैं। लेकिन क्या यह अंत है?
नहीं, यह अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। जब कोई हमें छोड़ जाता है, तब हम समझते हैं कि हम खुद को कितना खो चुके थे। उनके जाने के बाद हम अपनी खोई हुई पहचान को फिर से खोजते हैं। यह दर्द, यह अकेलापन हमें मजबूत बनाता है। हमें यह सिखाता है कि खुद से प्यार करना सबसे जरूरी है।
और फिर, जब हम अपनी जिंदगी को दोबारा देखते हैं, हमें समझ आता है कि यह छोड़ जाना और फिर से जीना, दोनों एक ही प्रक्रिया के हिस्से हैं। जिंदगी हमें टूटने देती है ताकि हम खुद को फिर से जोड़ सकें, और यह सिलसिला चलता रहता है।
जिंदगी को उसकी सारी नादानियों, सारी गलतियों और सारी खुशियों के साथ अपनाना ही सच्चा जीना है। यह समझना कि जो गया, वह जरूरी था ताकि हम वह बन सकें, जो हम आज हैं। और जो आने वाला है, वह एक और मौका है खुद को फिर से जीने का, फिर से प्यार करने का।